Posts

Showing posts from December, 2020

जब उसने आखरी बार ,मुझको मुड़कर देखा था

Image
याद है मुझे जब उसने आखरी बार मुझको मुड़कर देखा था बदन में कहीं समाया चमकते होठों पर उसके खुद को देखा था मासूम चेहरा  नजर तीर जैसी  दिल को घायल कर रही थी हल्की-सी मुस्कुराहट में उसकी खुद को  उससे दूर जाते हुए देखा था - यीतेश्वर निखिल

वह बचपन के अमीरी के दिन कहां गए

Image
वह बचपन के  अमीरी के दिन कहां गए जब हमारे भी जहाज चला करते थे कभी उछला करते तो कभी डूबा करते  इतनी देर में हम दूसरा बनाकर तैयार कर दिया करते थे वह बचपन के अमीरी के दिन कहां गए जब हम बापू के कंधे पर बैठ शिवरात्रि का मेला देखा करते थे वह बचपन के  अमीरी के दिन कहां गए जब कक्षा में कोने में बैठी लड़की को अपनी वाली कहां करते थे वह बचपन के  अमीरी के दिन कहां गए जब दोनों भाई वास्तविक महाभारत ईट पत्थरों और डंडो से लड़ा करते थे वह बचपन के  अमीरी के दिन कहां गए जब सुंदर-सुंदर लड़की और स्त्रियां मुफ्त में गालों पर चुंबन किया करते थे वह बचपन के अमीरी के दिन कहां गए दादा की कविता दादी की कहानी गोद में बैठकर सुना करते थे वह बचपन के अमीरी के दिन कहां गए जब रोज सुबह गहरी नींद में होने पर मच्छरदानी में से दादाजी मच्छर निकाला करते थे वह बचपन के अमीरी के दिन कहां गए जब रोज रात को पिताजी मुंह में दूध का गिलास हाथों से गुड़ खिलाया करते थे वह बचपन के  अमीरी के दिन कहां गए जब हम अपनी बुआ मां से लिपट कर सोया करते थे दोनों भाई आधे-आधे शरीर को जागीर समझकर  दूध पर हा...