रात विरात फोन चलत हैं

रात विरात फोन चलत हैं
छोरा छोरी होय अधीर
छोरी करे लव यू लव यू
छोरा को तन मचले मचले और वीर्य
छोरी कहे नींद नहीं आत
मेरे संग आजा सोजा साथ
छोरा सुनते ही उठ खड़ा होए
जोश भरा एक योद्धा वीर
रात विरात फोन चलत हैं
छोरा छोरी होय अधीर
करवट लेत हैं पिया संग
बिस्तर में जोर लगाएं
संग लिपटी हैं सोच के
बिस्तर से लिपटी जाएं
उधर कहानी उत्तल पुथल हैं
खटिया तोड़त जाएं
उल्टी करवट लेकर यह समझ
खटिया ही प्रियतम बन जाएं
बातों का सिलसिला
इस कदर गहरा होता जाएं
छोरी कहे आजा पिया
अब न प्यार बिना रहा जाएं
छोरा जो सुनते ही
खटिया में ऐसो जोर लगाएं
खुद तो हल को होय
खटिया को भी गंदा कर जाएं
छोरी से कहें
अब नींद आ रही हैं
जो सुनते ही छोरी गुस्से से
धर से फोन कांट जाएं
रात विरात फोन चलत हैं
छोरा छोरी होय अधीर
छोरी करे लव यू लव यू
छोरा को तन मचले मचले और वीर्य



-कवि यीतेश्वर निखिल

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